26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र ने भारतीय स्वीधान लागू कर अंगे्रजी कानून व गौरी सत्ता से राजनैतिक मुक्ति पाई थी तब से लेकर अब तक छह दशक बीत चुके हैं लेकिन संविधान पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पाया है। आज भी करोड़ों लोग मौलिक अधिकारों से वंचित हैं। खुले आसमान तले सोना, दवाई के अभाव में मरना व धनाभाव में शिक्षा से वंचित रहना लोगो की मजबूरी बना हुआ है। इन सब की जिम्मेदार अब तक रहीं केन्द्र सरकार है। सत्तासीन नेता मानसिक तौर पर देश की जनता को पूर्ण आजादी देने के समर्थक ही नही रहे। इसलिए संविधान को पूर्ण तौर पर लागू ना किया जा सका जिसके चलते 'कानून का राजÓ मात्र कागजों की शोभा बनकर रह गया और जनतंत्र के लिबास में पुंजीवाद को बढ़ावा दिया गया।
भ्रष्टाचार पुंजीवाद का गहना है जिससे बड़े कारोबारी व डेराधीशों के पास अकूत सम्पत्ति इकट्ठी हो गई। पुंजीवादी व्यवस्था के चलते सत्तासीन नेताओं ने भारी भीड़ जुटाने वाले डेराधीशों को संरक्षण प्रदान किया। ये लोग कानून को पैर की जूती समझते रहे हैं और कानून तोड़ कर अपने वैध-अवैध कारोबार जारी रखे हुए हैं। इन संस्थानों पर विभिन्न सरकारी एजेंसिया जिन पर राष्ट्र का करोड़ों रूपया वेतन व अन्य सुविधा के लिए खर्च हो रहा है झांकती तक नहीं है। कितने ही डेराधीश अपराधिक एवं राष्ट्रद्रोही गतिविधियों में शामिल पाए गये हैं।
भगवान, धर्म, कर्म व प्रेम जाल के नाम पर जनता की लूट जारी है। देश में अरबों का सेक्स कारोबार चल रहा है। जनता में आम चर्चा है कि ऐसे लोग विभिन्न करों की बड़े स्तर पर चोरी कर रहे हैं और इन संस्थानों में नशे व अवैध हथियार का कारोबार चलाने वालों की बड़ी सेना है जो राष्ट्र की विशाल बौद्धिक संपदा का सर्वनाश करने पर तुले हैं यदि समय रहते भारत सरकार न चेती और देशभर में ऐसे सभी संस्थानों की विशेष केन्द्रिय सुरक्षा एजेंसियों से जांच न करवाई गई और इनके सम्पत्ति भंडारों व सम्पत्ति स्रोतों की जांच न की गई तो ऐसे संस्थान राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन कर खड़े मिलेंगे और फिर समय-समय पर ब्लू स्टार, ब्लैक स्टार, ग्रीन स्टार ऑपरेशन करने पर सरकार को मजबूर होना पड़ेगा जिसका बड़ा खामियाजा राष्ट,व जनता को भुगतना पड़ेगा।
26 जनवरी गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर राष्ट्र का भला चाहने वाले नेताओं को 'कानून का राजÓ की स्थापना करने के लिए चिंतन करना चाहिए और भारतीय संविधान पूरे तौर पर लागू हो इसके लिए विशेष प्रयत्न एवं कार्ययोजना बना कर धरातल पर काम करना चाहिए ताकि असल गणतंत्र की स्थापना की जा सके।
-बालकृष्ण सांवरिया
भ्रष्टाचार पुंजीवाद का गहना है जिससे बड़े कारोबारी व डेराधीशों के पास अकूत सम्पत्ति इकट्ठी हो गई। पुंजीवादी व्यवस्था के चलते सत्तासीन नेताओं ने भारी भीड़ जुटाने वाले डेराधीशों को संरक्षण प्रदान किया। ये लोग कानून को पैर की जूती समझते रहे हैं और कानून तोड़ कर अपने वैध-अवैध कारोबार जारी रखे हुए हैं। इन संस्थानों पर विभिन्न सरकारी एजेंसिया जिन पर राष्ट्र का करोड़ों रूपया वेतन व अन्य सुविधा के लिए खर्च हो रहा है झांकती तक नहीं है। कितने ही डेराधीश अपराधिक एवं राष्ट्रद्रोही गतिविधियों में शामिल पाए गये हैं।
भगवान, धर्म, कर्म व प्रेम जाल के नाम पर जनता की लूट जारी है। देश में अरबों का सेक्स कारोबार चल रहा है। जनता में आम चर्चा है कि ऐसे लोग विभिन्न करों की बड़े स्तर पर चोरी कर रहे हैं और इन संस्थानों में नशे व अवैध हथियार का कारोबार चलाने वालों की बड़ी सेना है जो राष्ट्र की विशाल बौद्धिक संपदा का सर्वनाश करने पर तुले हैं यदि समय रहते भारत सरकार न चेती और देशभर में ऐसे सभी संस्थानों की विशेष केन्द्रिय सुरक्षा एजेंसियों से जांच न करवाई गई और इनके सम्पत्ति भंडारों व सम्पत्ति स्रोतों की जांच न की गई तो ऐसे संस्थान राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन कर खड़े मिलेंगे और फिर समय-समय पर ब्लू स्टार, ब्लैक स्टार, ग्रीन स्टार ऑपरेशन करने पर सरकार को मजबूर होना पड़ेगा जिसका बड़ा खामियाजा राष्ट,व जनता को भुगतना पड़ेगा।
26 जनवरी गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर राष्ट्र का भला चाहने वाले नेताओं को 'कानून का राजÓ की स्थापना करने के लिए चिंतन करना चाहिए और भारतीय संविधान पूरे तौर पर लागू हो इसके लिए विशेष प्रयत्न एवं कार्ययोजना बना कर धरातल पर काम करना चाहिए ताकि असल गणतंत्र की स्थापना की जा सके।
-बालकृष्ण सांवरिया