Saturday, November 20, 2010

सिरसा के सतगुरू रविदास मन्दिर में भव्य संत सम्मेलन आयोजित

सिरसा, 30 अक्टूबर। सतगुरू रविदास मिशन युवा प्रचार मंडल द्वारा आज रानियां रोड स्थित श्री गुरू रविदास मंदिर में दूसरे विशाल संत सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया जिसमें हजारों की संख्या में उमड़े श्रद्धालुओं ने डेरा सचखंड बल्लां व अन्य स्थानों से पधारे संत-महात्माओं का शानदार अभिनंदन किया। इस कार्यक्रम में डेरा सचखंड बल्लां से विश्व प्रसिद्ध कीर्तन सम्राट संत सुरेंद्र दास जी, कपाल मोचन डेरा से संत रामदयाल जी, संत हरिदास जी व संत गरीब दास जी विशेष रूप से पधारे थे। पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में पहुंचने पर सिरसा की साध संगत ने महात्माओं का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें मोटरसाइकिलों के काफिले में आयोजन स्थल तक लेकर आए। यहां पहले से मौजूद साध संगत की भारी भीड़ ने पुष्पवर्षा व ढ़ोल नगाड़ों से आए संतों का अभिनंदन किया। कीर्तन सम्राट सुरेंद्र दास जी ने संत श्री गुरू रविदास की अमृत वाणी की वर्षा की और अनेक सुंदर भजनों से समां बांध दिया। उन्होंने दर्शन दीजे राम, विलंब न कीजे, ऐसी लाल तुम बिनु कौन करे, रविदास गुरू तेरे चरणां दी मैं धूल मत्थे नूं लावां सहित अनेक भजन प्रस्तुत किए वहीं गुरू रविदास जी के जीवन आदर्शों के बारे में विस्तार से व्याख्या की  उन्होंने कहा कि दलित समाज में गुरू रविदास, भगवान वाल्मीकि, संत कबीर, सदना, सैन जी महाराज सहित अनेक महापुरुष हुए जिन्होंने सामाजिक भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए काम किया। संत जी ने कहा कि आज गुरू रविदास जी के सिद्धांत ऐसा चाहूं राज मैं, मिले सबन को अन्न, छोट-बड़े सब सम बसैं, रविदास रहें प्रसन्न को यूएनओ जैसी संस्था ने अपने एजेंडे में रखा है। उनके साथ पधारे अन्य संत-महात्माओं ने भी श्री गुरू रविदास जी के भजन व उनके उपदेशों के बारे में बताया। इस अवसर पर गुरू जी का लंगर भंडारा भी अटूट वितरित किया गया। भारी भरकम सुरक्षा व्यवस्था के बीच लगभग 3 घंटे तक कार्यक्रम चलता रहा और अंत तक श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहा। कार्यक्रम स्थल के बाहर विभिन्न स्टालें और तोरणद्वार मेले का माहौल बनाए हुए थे। कार्यक्रम में बाबा रामदेव मंदिर के महंत लीलानाथ, सिरसा के सांसद डॉ. अशोक तंवर, इनेलो के जिलाध्यक्ष पदम जैन, बहुजन समाज पार्टी के पूर्व प्रदेश महासचिव मूलचंद राठी, कैलाश चंद्र कानूनगो, डॉ. अंबेडकर सभा के प्रधान आत्मप्रकाश मेहरा, संत शिरोमणि श्री गुरू रविदास सभा के प्रधान सुभाष मेहरा, महासचिव मुरलीधर कटारिया, पूर्व महासचिव बंसीलाल दहिया, बसपा के कार्यालय सचिव बालकृष्ण सांवरिया, मिठूराम एडवोकेट नगर पार्षद, बलदेव मराड़, बुधराम मेहरा, अशोक ढ़ोसीवाल सहित अनेक गणमान्य लोगों ने शिरकत की। सतगुरू रविदास मिशन प्रचार मंडल के अध्यक्ष वीरेंद्र रंगा ने सभी अतिथियों का यहां पहुंचने पर आभार व्यक्त किया। मंच संचालन प्रवीन कटारिया ने किया। 

... ताकि असली गणतंत्र की स्थापना हो

सदियों पहले भारत गणराज्य के रूप में विकसित था शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति, सभ्यता एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में अमीर था। दुनिया भारत को विश्वगुरू के रूप में मानती थी। कालांतर में विदेशी जातियों ने भारत में भेद पैदा कर अपना शासन कायम किया और देश की जनता को हजारों जातियों में बांट कर एक विशेष राजतंत्र की स्थापना की जो शोषणकारी रहा।
समय बीतता गया और शोषणकारी राजाओं के समय विदेशी शक्तियों ने देश को लूटा और राजाओं को शक्ति द्वारा हराकर अपना शासन कायम किया हजारों वर्ष इन विदेशी हुक्मरानों का शासन रहा जिसमें शोषणकारी राजाओं सहित कल्याणकारी व्यवस्था देने वाले राजा भी रहे जिसके चलते भारत की जनता ने इन विदेशी हुक्मरानों को स्वीकार किया। इस दौरान बड़े स्तर पर सामाजिक व धार्मिक परिवर्तन भी हुए। लोगो के जबरन धर्मपरिवर्तन भी करवाये गये।
सौलह सौ ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से ब्रिटिश व्यापार के बहाने भारत में आए और धीरे-धीरे शक्ति के द्वारा भारतीय राजाओं को पराजित करके भारत पर शासन करने लगे। ब्रिटिश लोग भारत की सामाजिक व धार्मिक संरचना को पूरी तरह से समझ न पाए और वे बहुत लंबे समय तक देश पर शासन न कर सके। 1857 के स्वराज आंदोलन की परिणति 1947 की आजादी के रूप में हुई। 
आजादी के दौरान देश के टुकड़े हुए और राजनीतिक परिवर्तन या राजनीतिक आजादी मिली लेकिन स्वतंत्रता के सिपाहियों ने आजादी के बारे जो सपने संजोए थे वे पूरे न हो सके और राजनीतिक परिवर्तन के बावजूद भी व्यवस्था में परिवर्तन न हुआ।
मूल भारतीय जो भारत की धरती के असली वारिस हैं और विभिन्न जातियों में बंटे हुए हैं जिसमें संविधानिक रूप से अनुसूचित जातियां, अनुसूचित जनजातियां व पिछड़ा वर्ग सम्मिलित है को संविधान के लागू होने के 60 वर्ष बाद भी सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं राजनीतिक आजादी न मिली है। 
भारत की जनता अशिक्षा, बेकारी, भय, भेद व भ्रष्टाचार के चलते विदेशी शक्तियों को स्वीकार करती आ रही है जिसके कारण राष्ट्र की संस्कृति व सभ्यता भी तहस-नहस हो रही है। अब समय बदलाव का है भारत की जनता को स्वत्व व स्वतंत्रता का बीज बो कर भय, भेद व भ्रष्टाचार को मिटाना है और भारतीयता को अपनाकर राजनीति में विदेशी सभ्यता व व्यवस्था अपनाने वाले राजनीतिक दलों को किनारे करके भारतीयता व मूलभारतीयों को स्थापना देने वाले नेताओं एवं राजनीतिक दलों को सत्ता सौंपने की ओर बढऩा है ताकि पुन: भारत का खोया हुआ असली गणतंत्र स्थापित किया जा सके। और मूलभारतीयों की सत्ता में पूर्ण भागीदारी हो सके। 

गरीबों के दो लाख तक के सभी कर्जे हो माफ - बालकृष्ण सांवरियां

राष्ट्रीय मजदूर कल्याण मंच भारत (मुख्य इकाई) के महासचिव बालकृष्ण सांवरियां ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मांंग की है कि किसानों की कर्जामाफी की तर्ज पर देशभर के अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, महिलाओं व अन्य कमजोर वर्ग के सभी कर्जे माफ किये जावें। उन्होंने कहा कि देश के बहुसंख्य गरीब वर्ग की राष्ट्र निर्माण में महती भूमिका है। मजदूर वर्ग विभिन्न श्रेणियों में जैसे खेतीहर मजदूर, भवन निर्माण मजदूर, रेहड़ी-ठेली वाला मजदूर, भ_ा मजदूर, रिक्शा-ऑटो रिक्शा चालक, छोटे दुकानदार, मंझले उद्योग एवं दुकानों पर काम कर रहे कर्मचारी के रूप में विपरीत आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियों में राष्ट्र निमार्ण एवं राष्ट्र सेवा में जुटा हुआ है लेकिन सरकार द्वारा मजदूरों की राष्ट्रीय भावना और राष्ट्र सेवा का मुल्यांकन नही किया जा रहा।
मजदूर वर्ग भारी कर्जे तले दबा हुआ है और आए दिन देश भर में कर्जे के कारण सैंकड़ों मजदूर मौत का ग्रास बन रहे हैं जिससे मजदूर वर्ग का जिंदा रहने का संविधानिक अधिकार भी छिन रहा है। भारत के संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से जिंदा रहने का अधिकार दिया है जोकि सरकार की शोषणकारी आर्थिक नीतियों के चलते पूरा मजदूर वर्ग आर्थिक-सामाजिक पीड़ा झेल रहा है बड़ी संख्या में मजदूरों के पास दो वक्त की रोटी भी पूरी नही हो रही है। जिससे मजदूरों के बच्चे कुपोषण का शिकार है। कुपोषण के चलते मजदूरों के बच्चों की शिक्षा पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। श्री सांवरिया नें कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के सभी बैंकिंग प्रतिष्ठानों से दो लाख रूपये तक के सभी कर्जो की रिपोर्ट मंगवाकर एक वृहित योजना के तहत सभी स्कीमों के कर्जे एक मुश्त बिना शर्त माफ किया जावें ताकि बहुसंख्य मजदूर वर्ग राहत महसूस करे।